श्रम और रोजगार मंत्रालय (एमओएलई) नोडल एजेंसी है और राष्ट्रीय स्तर पर योजना, नीति निर्माण एवं कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। यह कार्यकलापों तथा पहल के परिणामों की राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी करते हुए इस पहल की अगुवाई करता है।
सचिव (श्रम और रोजगार) की अध्यक्षता और सचिव, एमईआईटीवाई की सह-अध्यक्षता में केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों से सदस्यों को शामिल करके गठित एक अधिकार प्राप्त समिति अर्थात् “परियोजना कार्य संचालन समिति (पीएससी)” सभी हितधारकों अर्थात् ईपीएफओ, ईएसआईसी, एनपीसीआई, यूआईडीएआई, एनआईसी तथा मनरेगा, जनवितरण प्रणाली, जैसी विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित करने वाले अन्य मंत्रालयों/ विभागों एवं राज्य श्रम संगठनों आदि के बीच परियोजना समन्वयन के लिए जिम्मेदार होगी। पीएससी अंतर विभागीय/मंत्रालयी मामलों पर विचार करके और उनके समाधान में सहायता प्रदान करके एनडीयूडब्ल्यू के कार्यान्वयन का आगे पर्यवेक्षण करेगी।
एनआईसी एनडीयूडब्ल्यू परियोजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है और श्रम और रोजगार मंत्रालय को डिजाईनिंग एवं विकास, एनआईसी क्लाउड पर आईटी अवसंरचना स्थापित करने, टर्नकी आधार पर एनडीयूडब्ल्यू के परियोजना कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करने के लिए एक प्रौद्योगिकी साझेदार के रूप में कार्य कर रहा है। एनआईसी इस परियोजना के लिए समग्र आईसीटी समाधान उपलब्ध करा रहा है।
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारें मुख्य रूप से एनडीयूडब्ल्यू प्लेटफार्म के फीडर एवं उपयोगकर्ताओं के रूप में कार्य करेंगी। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारें अपने संबंधित राज्य में एनडीयूडब्ल्यू के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होंगी। पहचान, पंजीकरण, कामगार से संबंधित सूचना के एकत्रण से संबंधित कार्यकलाप राज्य सरकार के राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार के दायरे के भीतर किए जाएंगे। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारें एनडीयूडब्लयू में पंजीकरण के फायदों के बारे में असंगठित कामगारों (यूडब्ल्यू) को अभिप्रेरित करेंगी।
केन्द्र सरकार के मंत्रालय/विभाग भी उनके द्वारा मॉनीटर किए जा रहे असंगठित कामगारों के लिए एनडीयूडब्लयू पोर्टल के फीडर होंगे और उनके क्षेत्राधिकार में आने वाले असंगठित कामगारों की बल्क पहचान और पंजीकरण का कार्य मंत्रालय और एनआईसी के निकट समन्वय से किया जाएगा।
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों के अंतर्गत कार्य कर रहे कामगार सुविधा केन्द्र भी असंगठित कामगारों को एनडीयूडब्ल्यू पोर्टल के फीडर होंगे।
एनडीयूडब्ल्यू जैसा कि परिकल्पित है असंगठित कामगारों को सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अनुसार भविष्य में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें पहुंच (एक्सेस) उपलब्ध कराने के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म बन जाएगा।
यूआईडीएआई इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। यह श्रम और रोजगार मंत्रालय को आधार के माध्यम से असंगठित कामगारों का सत्यापन करने में समर्थ बनाएगा और आधार आधारित पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए एनडीयूडब्लयू पोर्टल के साथ महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा करने और समय-समय पर यथा आवश्यक अन्य संबंधित सहायता प्रदान करेगा।
एनसीपीआई असंगठित कामगारों के बैंक खाते के सत्यापन और एनडीयूडब्ल्यू पोर्टल के माध्यम से बैंक खातों को आधार से जोड़ने के लिए एपीआई उपलब्ध कराएगा।
ईएसआईसी और ईपीएफओ भी पोर्टल के हितधारक होंगे और ईएसआईसी तथा ईपीएफओ के असंगठित कामगारों की सदस्यता की जांच करने के लिए पोर्टल की आवश्यकता के अनुसार यूएएन के माध्यम से जुड़े होंगे जिससे किसी कामगार के संगठित या असंगठित होने की स्थिति के निर्धारण में सहायता मिलेगी। इससे कामगारों के असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में तथा संगठित क्षेत्र से असंगठित क्षेत्र में आवाजाही की भी पहचान होगी।
सीएससी-एसपीवी जो एमईआईटीवाई की एक ईकाई है, देश भर में अपने 3.50 लाख से अधिक केन्द्रों के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के माध्यम से सम्पूर्ण देश में डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत विभिन्न सेवाओं की प्रदायगी कर रही है। सीएससी-एसपीवी पीएम-एसवाईएम और एनपीएस-ट्रेडर्स योजनाओं के लिए नामांकन एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है। राज्य सरकारों के अलावा सीएससी-एसपीवी भी एनडीयूडब्ल्यू परियोजना के लिए नामांकन एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।
डाक विभाग के अंतर्गत लगभग 1.55 लाख डाकघर हैं और वे पहले से ही पूरे भारत में आधार संबंधी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। वे भी सीएससी-एसपीवी की तरह ही नामांकन एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे।
मंत्रालय निजी क्षेत्र के भागीदारों, जैसे असंगठित कामगारों के नियोक्ताओं, गिग एवं प्लेटफार्म एग्रीगेटर्स, दूध उत्पादन यूनियनों, सहकारी संस्थाओं को उनसे संबंधित असंगठित कामगारों के पंजीकरण के लिए शामिल करने की संभावनाओं की तलाश कर रहा है। निजी क्षेत्र के व्यापक उपयोग के लिए मुक्त एपीआई भी प्रकाशित किए जाएंगे। ब्यौरे साझा करने, यदि कोई हों, का कार्य मंत्रालय अथवा भारत सरकार की डाटा शेयरिंग नीति के अनुसार किया जाएगा।