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अधिनियम और नियम

 
क्रमिक संख्या शीर्षक
1 असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008

देश का लगभग 88% कार्यबल असंगठित क्षेत्र में लिप्त है और उन्हें पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिल रहे हैं। असंगठित कामगारों जैसे बीडी कामगार, सिने कामगार, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार आदि के विशिष्ट समूह/ उप समूह के लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ कल्याणकारी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है। सरकार असंगठित क्षेत्र कामगारों के कुछ वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों कार्यान्वित कर रही है तथा गैर सरकारी संगठन भी कामगारों के कुछ वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। असंगठित क्षेत्र कामगारों के सभी समूहों को विशेष कल्याणकारी योजनाएं प्रदान करने के लिए, केंद्र सरकार ने असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 को अधिनियमित किया। इस अधिनियम को अब सामाजिक सुरक्षा पर संहिता में उप समन्वययित कर दिया गया है जो कि एक सामान्य कल्याणकारी दृष्टिकोण है।


असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा नियम, 2009 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (4 MB )
2 अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970

अनुबंधितश्रमिक का संदर्भ उस व्यक्ति से है,जिसे एक विशिष्ट कार्य और अवधि के लिए एक ठेकेदार के माध्यम से एक कंपनी में कार्य करने के लिए नियोजित किया गया है। कंपनियां ठेकेदारों को कार्य पर रखती हैं, जो बदले में इन कामगारों को विभिन्न नौकरियों के लिए भर्ती करते हैं। किसी भी प्रतिष्ठान में कामागारों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए और उनके लिए एक स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए, अनुबंध श्रम विनियमन और उन्मूलन अधिनियम 1970 में आरंभ किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य अनुबंध श्रमको समाप्त करना है और जहां आवश्यक हो,स्थापनाओं और ठेकेदारों के पंजीकरण और कानून के संचालन में केंद्र और राज्य सरकार को परामर्श देने के लिए सलाहकार बोर्डों की स्थापना के माध्यम से उनकी सेवा शर्तों का विनियमन करना है। इस अधिनियम को कार्य दशाएंसंबंधी व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य में उप-समन्वयित किया गया है।


अनुबंधित श्रम (विनियमन और उन्मूलन) केंद्रीय नियम, 1971 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (324.1 KB)
3 अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार (रोजगार का विनियमन और सेवा की शर्तें) अधिनियम 1979

यह अधिनियम विगत 12 महीनों में किसी भी दिन 5 या उससे ज्यादा अंतर्राज्यीय कर्मकार नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानोंऔर ठेकेदार पर लागू होगा। यह अधिनियम अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानों के पंजीकरण के लिए और ठेकेदार के लाईसेंस के लिए भीउपबंध है। इस अधिनियम को कार्य दशाओं से संबंधित व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य में उप-समन्वयित किया गया है।


अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार (रोजगार का विनियमन और सेवा की शर्तें) केंद्रीय नियम, 1980 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (2.26 MB)
4 न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948

न्यूनतम मजदूरी का प्रयोजन कामगारों को कम भुगतान के विरुद्ध सुरक्षित करना है।समान मूल्य के काम के लिए समान पारिश्रमिक के अधिकार को बढ़ावा देकर, गरीबी को दूर करने और असमानता को कम करने के लिए न्यूनतम मजदूरी भी नीति का एकतत्व हो सकती है। एशियाई देशों में जहां मजदूरी कम है, उद्योगों और व्यवसायों में मजदूरी मानकों में सुधार के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने की आवश्यकता थी। यह अधिनियम प्रांतीय सरकार द्वारा अनुसूचित बिल के अंतर्गत आने वाले रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण का प्रावधान करता है।


न्यूनतम मजदूरी (केंद्रीय) नियम, 1950 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (165 KB)
5 बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976

देश के कुछ भागों में एक ऋणी या उसके वंशज या आश्रितजनों को महाजन के लिए अनुचित या बिना मजदूरी के उन पर कर्ज के भुगतान के लिए कार्य करना पड़ता है उसे बंधुआ श्रम प्रणाली कहा जाता है। इस अधिनियम स्पष्ट करता है कि जबरन मजदूरी कराना कानूनन दंडनीय अपराध है औरवर्ष 1975 में माननीय राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी किया गया था, जिसमें बंधुआ मजदूरी प्रणाली को समाप्त कर दिया गया था और बंधुआ मजदूरों को बंधुआ काम करने के लिए किसी भी दायित्व से मुक्त कर दिया गया था।


बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) नियम, 1976 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (171.5 KB)
श्रम सुधार:
1 सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020

श्रम कानून के सहज अनुपालन में एकरूपता सुनिश्चत करने के लिए, भारत सरकार ने केंद्रीय श्रम कानूनों को विस्तृत समूहों जैसे (i) मजदूरी (ii) औद्योगिक संबंध, (iii) सामाजिक सुरक्षा, (iv) सुरक्षा, कल्याण और कार्य दशाएं में समेकित करने की अनुशंसा की है।सामाजिक सुरक्षा अधिनियम परसंहिता का उद्देश्य संगठित या असंगठित या किसी अन्य क्षेत्र के सभी कर्मचारियों और कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लक्ष्य के साथ सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कानूनों में संशोधन करना और उन्हें समेकित करना है। यह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभों को भीसंहिता द्वारा प्लेटफॉर्म कामगारों तक पहुंचाती है जो रोजगार पैदा करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक हैं।


सामाजिक सुरक्षा संहतानियम- प्रारूप, 2021 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (602.3 KB)
2 मजदूरी संहिता, 2019

यह संहिता मजदूरी और संदाय के भुगतान को विनियमित करती है सभी रोजगारों में जहांकोई उद्योग, व्यापार, बिजनेसया विनिर्माण किया जाता है। यह सभी कर्मचारियों पर लागू होता है। केंद्रीय क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिए केंद्र सरकार द्वारा तय की गई मजदूरी लागू की जाएगी और राज्य सरकार के क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिएराज्यसरकार द्वारा तय की गई मजदूरी लागू की जाएगी।


मजदूरी संहितानियम, 2019 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (1.2 MB)
3 व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशाएं संहिता, 2020

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशाएं संहिता 2020 किसी प्रतिष्ठान में नियोजित व्यक्तियों के लिएव्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशाओं विनियमन करने वाले कानूनों को समेकित और संशोधित करने वाली संहिता है। यह अधिनियम 13 पुराने केंद्रीय श्रम कानूनों को प्रतिस्थापित करता है।


व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशाएं संहिता–प्रारूप 2021 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmediasites/default/files/images/application-pdf.png (165 KB)
4 औद्योगिक संबंधसंहिता, 2020

औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 ट्रेडयू नियनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों या उपक्रमों में रोजगार की शर्तों, औद्योगिक विवादों की जांच और निपटान से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करती है।

बिल को दूसरे राष्ट्रीय श्रम आयोग की रिपोर्ट और सिफारिशों के अनुसार तैयार किया गया था। औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020 तीनअधिनियमों (i) ट्रेडयूनियनअधिनियम, 1926, (ii) औद्योगिकरोजगार (स्थायीआदेश) अधिनियम, 1946, और (iii) औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के प्रासंगिक प्रावधानों को समामेलित, सरल और युक्ति संगत बनाने के लिए प्रस्तावित है।


औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 https://eshramwebportal-megh.azureedge.net/nduwwsmedia/sites/default/files/images/application-pdf.png (602.3 KB)

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